RBI New Rules: आज के समय में बैंकिंग क्षेत्र में उतार-चढ़ाव की खबरें आम हो गई हैं। ऐसे में जमाकर्ताओं के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर उनका बैंक डूब जाए तो उनके पैसों का क्या होगा? इस चिंता को दूर करने के लिए भारत सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट के माध्यम से जमाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की है।
महत्वपूर्ण संशोधन और नए प्रावधान
वर्ष 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने DICGC एक्ट में एक ऐतिहासिक संशोधन की घोषणा की। इस संशोधन के तहत बीमित राशि की सीमा को एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें न केवल मूल जमा राशि बल्कि उस पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल किया गया। विशेष रूप से, यह सुरक्षा बैंक के मोरेटोरियम की स्थिति में भी उपलब्ध रहती है, जो जमाकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है।
सुरक्षा का विस्तृत दायरा
DICGC की सुरक्षा व्यवस्था बेहद व्यापक है। एक ही बैंक में अगर किसी व्यक्ति के कई खाते हैं, तो सभी खातों को मिलाकर अधिकतम पांच लाख रुपये तक की सुरक्षा मिलती है। इसमें बचत खाता, चालू खाता और सावधि जमा सभी शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अलग-अलग बैंकों में खाते रखने पर प्रत्येक बैंक में अलग-अलग पांच लाख रुपये तक की सुरक्षा मिलती है, जिससे बड़ी राशि को सुरक्षित रखा जा सकता है।
क्लेम प्रक्रिया में आए सकारात्मक बदलाव
नए कानून ने क्लेम प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक सरल और तेज बना दिया है। अब जमाकर्ताओं को बैंक के लिक्विडेशन का इंतजार नहीं करना पड़ता, और वे मोरेटोरियम के दौरान भी अपना क्लेम कर सकते हैं। प्रक्रिया में आई तेजी ने जमाकर्ताओं को बड़ी राहत दी है।
जमाकर्ताओं के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश
बैंक में पैसा जमा करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें कि बैंक DICGC के अंतर्गत आता है या नहीं, और उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है। बड़ी राशि को विभिन्न बैंकों में वितरित करना बुद्धिमानी होगी। साथ ही, DICGC के प्रिंटेड पर्चे से बीमा के प्रावधानों और अपने अधिकारों की जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
योजना के प्रमुख लाभ और सीमाएं
इस योजना से जमाकर्ताओं को वित्तीय सुरक्षा मिलती है और बैंकिंग प्रणाली में उनका विश्वास बढ़ता है। आर्थिक संकट के समय यह एक बड़ी राहत प्रदान करती है, और क्लेम निपटान की प्रक्रिया भी तेज है। हालांकि, इसकी कुछ सीमाएं भी हैं – जैसे पांच लाख रुपये तक की सीमित सुरक्षा, सभी बैंकिंग संस्थानों का शामिल न होना, और बड़ी जमा राशि के लिए अपर्याप्त कवरेज।
DICGC एक्ट जमाकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है। यह बैंकिंग प्रणाली में जनता का विश्वास बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि, जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि का समझदारी से प्रबंधन करना चाहिए और सभी आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए। बड़ी राशि के लिए विभिन्न बैंकों में वितरण और नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है। सुरक्षित बैंकिंग के लिए जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है, और हर निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए।